5 Easy Facts About Shodashi Described
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥
सौवर्णे शैलशृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।
कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः
ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं
ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः
काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥
षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।
श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा read more गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
Shodashi also usually means sixteen as well as the perception is on the age of sixteen the physical overall body of a individual attains perfection. Deterioration sets in following sixteen many years.